शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

नर्इ सदी का भारत : दशा एवं दिशा

            

     नर्इ सदी का भारत  : दशा एवं दिशा
                 डा0 हरिनिवास पाण्डेय; प्रवक्ता हिन्दी,
                 जवाहर लाल नेहरू कालेज, पासीघाट (अरूणाचल प्रदेश)    

  हिन्दी में शोधपरक एवं समीक्षात्मक पुस्तकों का संसार सिमटा हुआ है, ऐसी सिथति में डा0 वीरेन्द्रसिंह यादव के कुशल संपादन में संपादित प्रस्तुत पुस्तक स्वागत योग्य है। इस पुस्तक में अनेक लेखकों ने अपने लेखों में तथ्यों एवं तत्वों की दृषिट से प्रकाश डाला है। यह पुस्तक 48अध्याय एवं ग्यारह खण्डों में विभाजित है-समकालीन अहम प्रश्न एवं सुलगते सवाल, बहुजन समााज का स्याह यथार्थ, आधी दुनिया का यथार्थ, बाल श्रम एक गम्भीर चुनौती, राजनीति एवम प्रशासन, अध्यात्म एवम दर्शन, वैदिक साहित्य में चिन्तन के विविघ सन्दर्भ, शैक्षिक परि–श्य, भारत में कृषि, विकास और जनसंचार माध्यम, कला एवम संस्कृति, समकालीन  साहितियक  परिदृश्य आदि के विविध सरोकारों को रखा गया है।

            भले ही हम इल्म और इजाद की बुलनिदयों को हम उत्तरोत्तर छूते चले जा रहे हैं और पाताल से लेकर आकाश तक अपना इकबाल बुलन्द करते जा रहे हैं लेकिन इल्म और इज़ाद (ज्ञान आौर आविष्कार) के कुप्रभाव और खतरों का एहसास भी हमें होने लगा है। हम इतना सहमें हैं कि अपने भविष्य के बारे में विश्वासपूर्वक कुछ कह नहीं सकते। बस इतना ही महसूस करते हैं कि हमारे रहन-सहन का स्तर भले ही ऊंचा उठ रहा हो, लेकिन जीवन की विश्वसनीयता एवं गुणवत्ता गुम होती जा रही है। फिर भी यह मुमकिन नहीं कि दुनिया को उस मुकाम पर वापस किया जा सके जहां कभी राम-कृष्ण, बुद्ध-लाओत्से अथवा मूसा-र्इसा या मुहम्मद खड़े थे। हम यदि इतना ही कर सकें कि उन महाप्राणों के शाश्वत आध्यातिमक संदेशों के साथ नवोदघाटित वैज्ञानिक सत्यों की सुर-संगति बिठा लें, तो मानवता शायद धन्य हो जाये। यह तभी संभव हो पायेगा जब इस दिशा में समिमलित चिंतन-मनन और प्रयास किये जायें क्योंकि हम सब एक अखंड मानवीय सभ्यता के अंग हैं और जीवन की इन नयी चुनौतियों का सामना एक साथ मिलकर ही सफलतापूर्वक कर सकते हैं।
            पुस्तक की मान्यता है कि यह मानवीय समस्याएं प्रखंडित जानकारियों से सुलझने वाली नहीं हैं। विज्ञान या धर्मशास्त्र, या फिर इतिहास अथवा अर्थशास्त्र-इनमें से कोर्इ अकेले पूर्ण और पर्याप्त नहीं हैं। सबने जगत-जीवन के किसी क्षेत्र विशेष, किसी खास पक्ष पर ही अपना ध्यान केनिद्रत किया है। जबकि वस्तुसिथति यह है कि असितत्व एक संपूर्ण घटना है और इसकी समस्याओं को समग्रता के परिदृश्य में ही ठीक से समझा और हल किया जा सकता है।
            इन परिसिथतियों में व्यकित की दशा भी कम खराब नहीं रहती है। वह जितना ही अधिक अमीर होता है उसे उतना ही अधिक तनाव रहता है तथा नींद के लिए सोने की गोलियां खानी पड़ती हैं। सिर दर्द, रक्त-चाप, àदय रोग, कैंसर, एडस आदि रोग सामान्य बनते जा रहे हैं। विभिन्न नशे उसे आराम नहीं दे पाते हैं। अब वह भारतीय छदम साधुओं का सहारा ले शानित की तलाश करना चाहता है। पर सुख उसके जीवन में दिखार्इ ही नहीं पड़ता है। ज्ञान-विज्ञान ने पाश्चात्य देशों के जीवन को नारकीय बना दिया है। यह है पंथ-निरपेक्ष तथा ज्ञान-विज्ञान का  स्पष्ट प्रभाव।
 यहाँ सम्पादक की चिन्ता लाजिमी दिखती है वह यह कि समाज के  हर व्यकित को सम्मानित नागरिक के रूप में जीने के लिए राज्य से जो समान अधिकार पूरे एवं अवसर मिले थे उनका दिनो- दिन क्षरण हो रहा है। जेलों में आज हजारों कैदी ऐसे पड़े हैं जिन पर अपराध सिद्ध नहीं है। मुकदमे की सुनवार्इ नहीं हो पा रही है। अत: न्यायिक प्रक्रिया को चुस्त करना आवश्यक है। पुलिस हिरासत में मौतों का सिलसिला बढ़ता चला जा रहा है। इससे जनमानस में पुलिस की छवि धूमिल हो गयी है। अत: प्राशसनिक सुधार अपेक्षित हैं। नीति-निर्माण की प्रक्रिया में जनता का भागीदार होना आवश्यक है। यह भी ध्यान देना होगा कि प्रशासन में हर क्षेत्र के लोगों का समुचित प्रतिनिधित्व हो। वर्तमान समय में इन्हीं कारणों से लोग अपने-आपको अलगाव की सिथति में पाते हैं। वास्तव में देखा जाए तो अलगाव ही हर समस्या की जड़ है। इस कारण आवश्यक है कि राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया में सबको समान रूप से सह भागीदार बनाया जाए। तभी हम अपने देश को विकसित की श्रेणी में रखने के हकदार होंगे।
                   कुल मिलाकर प्रस्तुत पुस्तक न केवल  भारत में आधुनिकता के साथ परम्परा का मिश्रण तो करती है  इसके साथ ही  विकास एवं परम्परागत मूल्य और मानवेतर विश्वासों की जमीनी तहों से निकालकर उस पर वर्तमान की पालिश करके  एक नवीन व्याख्या भी प्रस्तुत करती है।
पुस्तक का नाम- नर्इ सदी का भारत  : दशा एवं दिशा
संपादक-डा0वीरेन्द्रसिंह यादव
पेज-19+331-350
ISSN.978.93.80147.83.3
संस्करण-प्रथम.2011,मूल्य-995.00
पैसिफिक पबिलकेशन्स-एन.187 शिवाजी चौक, सादतपुर एक्सटेंशन,दिल्ली-110094


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